Monday, December 30, 2024
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पर्यावरण विभाग ने रुकवाया नाला निर्माण का कार्य

हसदेव नदी के किनारे नवनिर्मित पुल के नीचे राखड़ को सीधे नदी में बहाने के लिए निर्माणाधीन नाले के निर्माण का काम पर्यावरण विभाग ने रूकवा दिया है। वायरल खबर पर संज्ञान लेते हुए पर्यावरण विभाग ने यह कदम उठाया। हालांकि इसके पूर्व ही हजारों टन राख बारिश के साथ नदी में बह चुकी है।
        जिले में राखड़ को लेकर क्या पॉलिसी अपनाई जा रही है। दर्री बराज के पास ऐरिगेशन की जमीन के लो लाइन एरिया में लाखों टन राख पाटा गया था। भारी बारिश में राख बगल में वह रही हसदेव नदी में बहकर जा रही थी। हद तो तब हो गई जब राख को सीधे नदी तक ले जाने के लिए बकायदा बडे नाले का निर्माण कराया जा रहा था। वायरल खबर के बाद संज्ञान लेते हुए पर्यावरण विभाग ने तुरंत कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से नाले का निर्माण रूकवा दिया।
        जबकि बन रहे नाले का 70 प्रतिशत काम पूरा किया जा चुका था। नाले की खुदाई के बाद उसे पक्का कराने के लिए शटरिंग अभी भी लगी हुई है। लो लाइन एरिया में भरी गई कई टन राख बहकर नदी में जा चुकी है। लगभग यहां का आधा इलाका एक बार फिर लो लाइन बन चुका है। कमोवेश यही स्थिति कुदुरमाल, एरिगेशन की जमीन का है। जिसे पाटकर समतल किया गया वो जमीन एक बार फिर लो लाइन का रूप ले चुकी है।

* जीपीएस को किया गया अनिवार्य


        जिले के विभिन्न राखड़ बांधों से राखड़ ढ़ोने वाले वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाने के सख्त निर्देश दिये गये हैं। एनटीपीसी, बालको ने इन वाहनों में जीपीएस लगा भी दिया है, परंतु सीएसईबी द्वारा अब तक इस पर अमल नहीं किया जा रहा है। बताया जा रहा हैं की विभाग द्वारा निर्देश दे दिये गए हैं परंतु ठेकेदारों द्वारा जीपीएस नहीं लगाया गया है।
        इस मामले में क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी प्रमेन्द्र पांडे ने जानकारी देते हुए कहा की मौके का निरीक्षण कर नाला निर्माण का काम रुकवा दिया गया है। राखड़ परिवहन में लगे ट्रकों पर जीपीएस नहीं लगाने वालों पर सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।

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