रिपोर्टर पद्मिनी श्रीवास
सारंगढ़-बिलाईगढ़, कलेक्टर धर्मेश साहू के निर्देशन तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एफ आर निराला के कुशल मार्गदर्शन में संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) योजना का सफल क्रियान्वयन हो रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.बी.एस.के.) के तहत चिरायु योजना के ज़रिए, जन्म से 18 साल तक के बच्चों की स्वास्थ्य जांच की जाती है और उन्हें मुफ़्त इलाज दिया जाता है. इस योजना का मकसद, बच्चों में जन्म के समय से मौजूद दोष, कमियां, बीमारियां, विकलांगता, और विकास संबंधी देरी को पहचानकर, जल्द से जल्द इलाज मुहैया कराना है. चिरायु योजना के तहत, स्कूलों और आंगनबाड़ियों में बच्चों की जांच की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें मुफ़्त में इलाज दिया जाता है. इस योजना के तहत, कटे-फटे होंठ, जन्मजात मोतियाबिंद, टेढ़े-मेढ़े हाथ-पैर, श्रवण बाधा (जन्मजात बधिरता), और इस तरह की 30 तरह की बीमारियों और विकृतियों का इलाज किया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर, बच्चों को किसी बेहतर सुविधा वाले अस्पताल में भी रेफ़र किया जाता है। इस योजना के तहत, स्वास्थ्य सुविधाओं में डॉक्टर, फार्मासिस्ट, ए.एन.एम. व लैब टेक्नीशियन के ज़रिए, सभी स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों व घरों में भी जाकर नवजात शिशुओं की जांच की जाती है।
ऐसे ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सारंगढ़ के चिरायु टीम (ब) ने अपने दैनिक स्वास्थ्य परीक्षण हेतु समीपस्थ ग्राम हिच्छा आंगनबाड़ी केंद्र 19 जनवरी को गयी थी। जहां देवांश 2 वर्ष के बालक को श्रवण बाधित पाया, बच्चे को सुनने की क्षमता में कमी साथ ही बाह्य ध्वनि के प्रति कोई भी रिस्पॉन्स नही करते पाया। इस पर टीम ने परिजनों को समझाया और ईलाज के लिए प्रेरित किया।
पूर्व में हुए सफल इलाज के बारे में भी बताकर मार्गदर्शन किया।
इस तरह से उच्च स्तरीय जांच व इलाज हेतु टीम ने जतन केंद्र रायगढ़ रिफर किया जहां 3 माह के स्पीच थेरेपी के बाद कॉकलियर इम्प्लांट नामक कान की श्रवणशक्ति हेतु सर्जरी के लिए एम्स हॉस्पिटल रायपुर भेजा गया। जहां हर अलग-अलग स्तर पर जांच, वेक्सिनेशन की प्रक्रिया पूर्ण की गई। इस बीच टीम के द्वारा बराबर सलाह मशवरा व इलाज हेतु मनोबल बढ़ाने का कार्य किया गया साथ ही आवश्यक कागजात, दस्तावेज भी समयानुसार पूर्ण करते गए। कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी हेतु
एम्स अस्पताल रायपुर में 9 अगस्त 24 को भर्ती किया गया फिर 13 अगस्त 2024 को सफलतापूर्वक सर्जरी पूर्ण की गई फिर डॉक्टरों द्वारा 9 दिन तक अपने ऑब्जर्वेशन में रखने के उपरांत 23 अगस्त को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। 30 अगस्त 2024 को कॉकलियर इम्प्लांट किया गया। मशीन को स्वीच ऑन किया जाएगा फिर बालक देवांश की सुनने व बोलने के अभ्यास हेतु स्पीच थेरेपी की प्रक्रिया की जाएगी। इस प्रकार के ऑपरेशन हेतु 6-7 लाख रुपए लगते हैं जो चिरायु योजना के तहत निःशुल्क होता है। असल में चिरायु योजना ऐसे ही जरूरमंद बच्चों के लिए ही है जिन्हें समय पर पहचान कर इलाज की सुविधा मुहैया कराती है। चिरायु योजना से देवांश के माता पिता बेहद खुश हैं और शासन की महत्वाकांक्षी योजना का व पूरी टीम का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। इस सफल कार्य के पीछे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एफ.आर. निराला, खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. एल. सिदार, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक श्री एन एल इजारदार, जिला नोडल (चिरायु) डॉ पी डी खरे, टीम के सदस्य डॉ नम्रता मिंज, डॉ प्रभा सारथी, डॉ गौरी, डॉ बबीता पटेल, डॉ बद्री विशाल सेक्टर गोड़म के प्रभारी श्री ओम प्रकाश कुर्रे जी व आर एच ओ विमला खटकर का सहयोग रहा है।
*“जन्मजात बधिरता या गूंगापन को आंगनबाड़ी स्तर पर ही जांच व पहचान व आवश्यक ईलाज लेने से समुदाय में इसका प्रभावदर को कम किया जा सकता है। बच्चा जब सुनेगा, तभी बोलेगा। बच्चे के जीवन पर बहरेपन के प्रभाव को कम करने के लिए स्वयं माता-पिता में जागरूकता व पहचान सही संयोजन कर इसका प्रारंभिक निदान करना और विभिन्न प्रबंधन उपकरणों का उपयोग करना आवश्यकतानुसार चिकित्सक के मार्गदर्शन में शुरू कर देना चाहिए।”*
*“बच्चों में पाए जाने वाले इस जन्मजात बधिरता व श्रवण दोष की रोकथाम, शीघ्र पहचान, उपचार व रैफरल जैसी सेवाओं की उलपब्धता चिरायु योजना के तहत प्रदाय की जाती है। इस प्रकार के महंगे ऑपरेशन 2वर्ष से 5वर्ष तक के बच्चों में सफल होते हैं, अतः चिरायु टीम त्वरित जांच व चिन्हांकन कर एकतरफा बधिरता (एस.एस.डी.) होने पर कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी हेतु सक्रियता से कार्य करती है।”*
*“आप सभी के सहयोग से मेरे बेटे देवांश के कान का आपरेशन सफलता पूर्वक हो गया है. इसके लिए सारंगढ़ की पूरी चिरायु टीम व स्वास्थ्य विभाग का हार्दिक धन्यवाद* *करता हूँ।”*