
कुसमुंडा (कोरबा)। SECL कुसमुंडा कोयला खदान में नीलकंठ कंपनी द्वारा तैनात महिला बाउंसरों की दबंगई और गुंडागर्दी का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इन महिला बाउंसरों द्वारा लोगों के साथ अभद्र व्यवहार और धक्का-मुक्की की जा रही है। इससे न केवल माहौल बिगड़ रहा है बल्कि खदान प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
ग्रामीणों और मजदूरों का कहना है कि खदान क्षेत्र में काम करने वालों से सुरक्षा की उम्मीद रहती है, लेकिन बाउंसरों के व्यवहार से असुरक्षा की स्थिति बनी हुई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इन महिला बाउंसरों की नियुक्ति किस आधार पर की गई और क्या सभी नियमों का पालन हुआ?
उठते बड़े सवाल –
- क्या खदान के अंदर तैनात महिला बाउंसरों के पास VTC ट्रेनिंग सर्टिफिकेट है?
खदान के अंदर काम करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए VTC ट्रेनिंग अनिवार्य है। लेकिन महिला बाउंसरों के पास इसका प्रमाणपत्र है या नहीं, यह बड़ा सवाल है। - क्या नीलकंठ कंपनी ने महिला बाउंसरों का ‘बी फार्म’ भरकर सुरक्षा विभाग में जमा किया है?
खदान में काम करने वाले हर मजदूर और कर्मचारी के लिए बी फार्म जरूरी है। अगर यह फार्म नहीं भरा गया तो यह सीधी लापरवाही है। - क्या कंपनी ने महिलाओं बाउंसरों को उनके स्किल और कार्य के हिसाब से मजदूरी तय की है?
मजदूर संगठन का कहना है कि मजदूरी का निर्धारण नियमों के अनुसार नहीं किया गया है। - क्या खदान में काम करने के लिए महिला हो या पुरुष सभी को पूरा सुरक्षा उपकरण (Safety Kit) दिया गया है?
सुरक्षा उपकरण खदान में जीवन रक्षा का सबसे बड़ा साधन है। यदि महिला बाउंसरों को यह उपलब्ध नहीं कराया गया है, तो कंपनी सीधे सुरक्षा नियमों की अवहेलना कर रही है। - क्या इन महिला बाउंसरों की हाजिरी MTK रजिस्टर में दर्ज की जा रही है?
खदान में काम करने वाले हर शख्स का नाम MTK रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए। लेकिन महिला बाउंसरों का नाम दर्ज है या नहीं, इस पर भी संदेह जताया जा रहा है।
ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि महिला बाउंसरों की गुंडागर्दी से माहौल खराब हो रहा है। कंपनी द्वारा स्थानीय लोगों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
प्रशासन और SECL की जिम्मेदारी
अब यह जिम्मेदारी SECL प्रबंधन और खदान प्रशासन की है कि इन गंभीर सवालों के जवाब दें। अगर महिला बाउंसरों की नियुक्ति नियमों के विरुद्ध है तो यह खदान प्रबंधन और कंपनी दोनों की मिलीभगत का संकेत देता है।
ग्रामीणों और मजदूर संगठनों ने मांग की है कि –
महिला बाउंसरों के दस्तावेज और ट्रेनिंग सर्टिफिकेट की जांच की जाए।
बी फार्म और MTK हाजिरी का खुलासा किया जाए।
मजदूरी और सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
अभद्र व्यवहार और गुंडागर्दी पर तत्काल रोक लगे।