जीवन चौहान/रिपोर्टर/कोरबा। एसईसीएल रजगामार बंद पड़ी 6 व 7 भूमिगत खदान से पहले ही दोबारा कोयला उत्खनन शुरु करने की कवायद प्रबंधन ने शुरु दी थी। इसके लिए डायरेक्टर जनरल माइंस आफ सेफ्टी (डीजीएमएस) ने भी अपनी सहमति जता दी है। खदान के संचालन की जिम्मेदारी निजी कंपनी को सौंपी जाएगी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया भी शुरु की गई थी साथ ही केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इसके लिए स्वीकृति भी मांगी गई है। हालांकि स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से अब तक खदान में न ही कंटीन्यूस माइनर मशीन उतारा जा सका और न ही कोयला उत्खन्न शुरु किया जा सका। उल्लेखनीय है कि देशभर की 293 भूमिगत कोयला खदानों को अलग-अलग कारणों से बंद कर दिया गया है। इनमें एसईसीएल के 57 खदान शामिल हैं। बंद किए गए खदानों में 20 खदानों से पुनः कोयला उत्खन्न शुरु करने चिंहित किया गया है। एसईसीएल की रजगामार स्थित 6-7 नंबर भूमिगत खदान को वर्ष 2014 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति नहीं मिलने की वजह बंद करना पड़ा था। इसे एक बार फिर शुरू करने की कवायद शुरु की गई है। एसईसीएल प्रबंधन की जगह इस खदान को आउटसोर्सिंग में दिए जाने की योजना बनाई गई थी। महाराष्ट्र की खनन क्षेत्र में अनुभव रखने वाली तीन कंपनी संचेती माइनिंग, एसएमएस माइनिंग व गो-वाह माइनिंग ने इसमें रूचि भी दिखाई है। इन कंपनियों की टीम भी बंद खदान का जायजा ले चुकी है। एसईसीएल ने अंडरग्राउंड खदानों में 16 कन्टीन्यूअस माइनर (सीएम) मशीन को उतारा है। कन्टीन्यूअस माइनर मशीन की मदद से कोयले की कटिंग कर बाहर निकाला जा रहा है। आने वाले दिनों में कंपनी की योजना 58 कन्टीन्यूअस माइनर और उतारने की है। वही मशीन की एक और खासियत है कि इससे 100 एमएम साइज का कोयला काटकर बाहर निकाला जाएगा। खदान से कोयले का बड़ा टुकड़ा बाहर नहीं आएगा। साथ ही आपको बता दे की कंटीन्यूस माइनर मशीन के इस्तेमाल से 24 घंटे में अधिकतम एक हजार टन कोयला काटकर बाहर निकाला जा सकता है। वर्तमान में भूमिगत खदान में इस्तेमाल होने वाली एसडीएल से रोजाना 150 कोयला को उठाकर कन्वेयर बेल्ट तक पहुंचाया जाता है। जबकि लोड हॉल डंप के जरिए प्रतिदिन अधिकतम 200 टन कोयला फेस से बाहर निकालता है। अभी कोयला कंपनी विश्राम एरिया के गायत्री खदान में कंटीन्यूस माइनर का इस्तेमाल कर रही है। इसके अलावा दो दिन पहले केंद्रीय राज्य कोयला मंत्री ने चिरमिरी के भूमिगत कोयला खदान में कन्टीन्यूअस माइनर मशीन का उद्घाटन किया। यहां बताना होगा रजगामार की बंद खदान से अभी पानी निकासी का काम चल रहा है। इसके लिए यहां 25 नियमित कर्मचारी पदस्थ किए गए हैं। ये कर्मचारी तीनों शिफ्ट में पानी निकासी के लिए लगाए पंप का संचालन करते हैं। इसके अलावा खदान की निगरानी भी करते हैं। बंद खदान को शुरू करने पहले ही ग्राम सभा का आयोजन किया जा चुका है। वन भूमि का गैर वानिकी प्रयोजन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होता है। इसके लिए बुलाई गई सभा में प्रबंधन ने अनुसूचित जनजाति व अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 के तहत अनुमति ली थी। इस दौरान किसी भी वनवासी की भूमि में पट्टा नहीं दिए जाने की जानकारी दी गई। इसके साथ ही खदान शुरू करने पर सहमति बन गई थी। बावजूद अब तक रजगामार की बंद खदानों से दोबारा कोयला उत्खन्न शुरु नहीं किया जा सका है।