एसईसीएल कोरबा एरिया में फर्जी भर्ती का मामला सामने आया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि कर्मचारी द्वारा फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर नाम बदलते हुए नौकरी हासिल किया है जिसका खुलासा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों से हुआ है। इस मामले को लेकर लिखित शिकायत करते हुए जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है। शिकायत होने के बाद एसईसीएल में फर्जी नौकरी करने वालों के बीच हड़कंप मचा हुआ है।
पूरा मामला एसईसीएल कोरबा एरिया अंतर्गत भूमिगत खदान सिंघाली का है। शिकायतकर्ता के बताएं अनुसार वर्ष 1999 में इतवार साय द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर नौकरी हासिल किया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उक्त व्यक्ति का वास्तविक नाम कुछ और ही है जो नाम बदलकर दूसरे के भूमि पर गलत तरीके से दस्तावेज तैयार कर नौकरी हासिल किया है और आज दिनांक तक भारत सरकार के अनुषंगी कंपनी एसईसीएल का करोड़ों रुपए हजम कर दिया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि इतवार साय की नियुक्ति ही फर्जी है जिसकी पुष्टि सूचना के अधिकार से मिली जानकारी से स्पष्ट हो रहा है। विभाग द्वारा सूचना के अधिकार में दी गई जानकारी में स्पष्ट लिखा है कि कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में नियुक्ति प्राप्त करने के पूर्व के दस्तावेज संलग्न नहीं है, साथ ही यह भी अवगत कराया गया है की भूमि के एवज में नौकरी प्रदान करने की कार्यवाही इस स्तर से नहीं किया जाता है। इसके अलावा नियुक्ति तिथि में भी भिन्नता है। इससे स्पष्ट है की नौकरी प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया है जिसकी जांच किया जाना अति आवश्यक है।
*वीआरएस लेने सेटिंग का खेल हुआ शुरू?*
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार मामला उजागर होने के बाद इतवार साय वीआरएस लेने के फिराक में है जिसके लिए विभागीय अधिकारियों से साठ – गांठ करना शुरू कर दिया है। सूत्र यह भी बताता है कि पूर्व में भी उनके नजदीकी रिश्तेदार जो एसईसीएल में कार्य करता था उसके द्वारा भी फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल की गई थी जिसकी जानकारी सार्वजनिक होने के बाद वीआरएस लिया गया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इस मामले को लेकर भी जल्द ही शिकायत की जाएगी।
*दर्ज होगी एफआईआर या कर दी जाएगी लीपापोती?*
आरटीआई से मिले विभागीय दस्तावेज के आधार पर लगाए गए आरोप की जांच पर अब सबकी नजर टिकी हुई है। हालाकि प्राप्त दस्तावेज ने कर्मचारी द्वारा भर्ती के समय किए गए फर्जीवाड़े पर मुहर जरूर लगा दी है लेकिन अधिकारियों की जांच और कार्रवाई ही अंतिम है। पूर्व में ऐसे ही कुछ शिकायते प्राप्त हुई थी जिसमें आज भी कार्रवाई लंबित है। इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि क्या इस मामले में जांच हो पाएगी या फिर जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया जाएगा।
शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में एक माह के भीतर कार्रवाई करने अनुरोध किया है और यदि कार्रवाई नहीं होती है तो शिकायतकर्ता के द्वारा पुलिस, प्रशासन और न्यायालय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की जाएगी जिसके लिए संबंधित अधिकारी को ही जवाबदेही होना मानते हुए उनके खिलाफ भी जांच को प्रभावित करने के मंशा से शिकायतकर्ता के पत्र पर कार्यवाही नहीं करने की शिकायत की जाएगी।