Monday, February 17, 2025
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स्वेता हॉस्पिटल के संचालक पर जिम्मेदार अधिकारी मेहरबान ?कार्यवाही का अभाव या खुला संरक्षण?स्वेता हॉस्पिटल के संचालक पर जिम्मेदार अधिकारी मेहरबान ?कार्यवाही का अभाव या खुला संरक्षण?

कोरबा जिले में स्थित श्वेता हॉस्पिटल इन दिनों जितना सुर्खियों में है उतना ही सुर्खियों में प्रशासनिक अधिकारी भी है दरअसल पूरा मामला शासकीय वन भूमि की अफरा तफरी से जुड़ा हुआ है आपको बता दे कोरबा जिले में संचालित रिस्दी में श्वेता हॉस्पिटल के संचालक के द्वारा आलीशान हॉस्पिटल तो बना लिया गया लेकिन अस्पताल में पार्किंग नहीं होने की स्थिति में शासकीय वन भूमि पर अतिक्रमण करते हुए उसे अपने कैंपस में मिला लिया गया मामले की शिकायत शिकायतकर्ता ने संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ जिला कलेक्टर से जनदर्शन में लिखित की है लेकिन शिकायत के बावजूद भी कार्यवाही का अभाव है शिकायतकर्ता की माने तो सात माह बीत जाने के बाद भी कार्यवाही अब तक नहीं हुआ है।

अब सवाल यह उठता है सात माह बीत जाने के बाद कोरबा जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य मार्ग में बेस कीमती शासकीय वन भूमि का अतिक्रमण करने के बाद खुलेआम अस्पताल का संचालन करना प्रशासनिक कार्यवाही पर सवाल तो उठता है साथ ही कार्यवाही को संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर किस तरह प्रभावित किया जा सकता है इसका उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

शिकायतकर्ता के आरोप के अनुसार श्वेता हॉस्पिटल के संचालक के द्वारा संबंधित अधिकारियों को मोटी रकम दे दी गई है यही कारण है सात माह बीत जाने के बाद भी शासकीय जमीन को शासन के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी त्वरित कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।

कोरबा जिला मुख्यालय से लगा हुआ अस्पताल में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत प्राथमिक स्तर से लेकर कलेक्टर के समक्ष लिखित शिकायत उपरांत त्वरित कार्यवाही नहीं होना जांच को जहाँ एक ओर सन्देहास्पद बना दिया है वही दूसरी ओर तहसीलदार एसडीएम की कार्यशाली पर सवालिया निशान भी खड़े हो गए हैं।

शिकायतकर्ता की माने तो पेपर और दस्तावेजों के आधार पर लिखित शिकायत प्रस्तुत किया गया है बावजूद कार्यवाही की जानकारी शिकायतकर्ता को नहीं दी जा रही है समय बीतता जा रहा है और शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है शासकीय भूमि पर शहर के बीचो-बीच तमाम प्रशासनिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी जमीन पर अपना आलीशान प्रतिष्ठा का संचालन करने वाले पर कार्यवाही कब तक होगी या यू माना जाए पहले शासकीय भूमि पर कब्जा करो उसके बाद संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों को कार्यवाही पर अवरोध उत्पन्न करने के प्रयास को आधार बनाकर मामले को ठंडा बस्ते में दबे रहने में एड़ी चोटी एक कर दिया जाए।

शिकायतकर्ता की माने तो श्वेता हॉस्पिटल के लिखित शिकायत के बाद भी राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एसडीएम के द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है जो जिम्मेदार अधिकारियों के कर्तव्य आचरण पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

कोरबा जिले में स्थित श्वेता हॉस्पिटल इन दिनों जितना सुर्खियों में है उतना ही सुर्खियों में प्रशासनिक अधिकारी भी है दरअसल पूरा मामला शासकीय वन भूमि की अफरा तफरी से जुड़ा हुआ है आपको बता दे कोरबा जिले में संचालित रिस्दी में श्वेता हॉस्पिटल के संचालक के द्वारा आलीशान हॉस्पिटल तो बना लिया गया लेकिन अस्पताल में पार्किंग नहीं होने की स्थिति में शासकीय वन भूमि पर अतिक्रमण करते हुए उसे अपने कैंपस में मिला लिया गया मामले की शिकायत शिकायतकर्ता ने संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ जिला कलेक्टर से जनदर्शन में लिखित की है लेकिन शिकायत के बावजूद भी कार्यवाही का अभाव है शिकायतकर्ता की माने तो सात माह बीत जाने के बाद भी कार्यवाही अब तक नहीं हुआ है।

अब सवाल यह उठता है सात माह बीत जाने के बाद कोरबा जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य मार्ग में बेस कीमती शासकीय वन भूमि का अतिक्रमण करने के बाद खुलेआम अस्पताल का संचालन करना प्रशासनिक कार्यवाही पर सवाल तो उठता है साथ ही कार्यवाही को संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर किस तरह प्रभावित किया जा सकता है इसका उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।


शिकायतकर्ता के आरोप के अनुसार श्वेता हॉस्पिटल के संचालक के द्वारा संबंधित अधिकारियों को मोटी रकम दे दी गई है यही कारण है सात माह बीत जाने के बाद भी शासकीय जमीन को शासन के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी त्वरित कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।


कोरबा जिला मुख्यालय से लगा हुआ अस्पताल में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत प्राथमिक स्तर से लेकर कलेक्टर के समक्ष लिखित शिकायत उपरांत त्वरित कार्यवाही नहीं होना जांच को जहाँ एक ओर सन्देहास्पद बना दिया है वही दूसरी ओर तहसीलदार एसडीएम की कार्यशाली पर सवालिया निशान भी खड़े हो गए हैं।


शिकायतकर्ता की माने तो पेपर और दस्तावेजों के आधार पर लिखित शिकायत प्रस्तुत किया गया है बावजूद कार्यवाही की जानकारी शिकायतकर्ता को नहीं दी जा रही है समय बीतता जा रहा है और शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।


अब सवाल यह उठता है शासकीय भूमि पर शहर के बीचो-बीच तमाम प्रशासनिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी जमीन पर अपना आलीशान प्रतिष्ठा का संचालन करने वाले पर कार्यवाही कब तक होगी या यू माना जाए पहले शासकीय भूमि पर कब्जा करो उसके बाद संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों को कार्यवाही पर अवरोध उत्पन्न करने के प्रयास को आधार बनाकर मामले को ठंडा बस्ते में दबे रहने में एड़ी चोटी एक कर दिया जाए।



शिकायतकर्ता की माने तो श्वेता हॉस्पिटल के लिखित शिकायत के बाद भी राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी एसडीएम के द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है जो जिम्मेदार अधिकारियों के कर्तव्य आचरण पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।



प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है और दस्तावेज में सारी स्थितियां स्पष्ट है बावजूद अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं आखिर कब होगी शासकीय वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले श्वेता हॉस्पिटल के संचालक पर कार्यवाही या देखने वाली बात है हालांकि शिकायतकर्ता के अनुसार कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों के साथ-साथ दोषियों की शिकायत को लेकर न्यायालय जाने की बात कही है।प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है और दस्तावेज में सारी स्थितियां स्पष्ट है बावजूद अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं आखिर कब होगी शासकीय वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले श्वेता हॉस्पिटल के संचालक पर कार्यवाही या देखने वाली बात है हालांकि शिकायतकर्ता के अनुसार कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों के साथ-साथ दोषियों की शिकायत को लेकर न्यायालय जाने की बात कही है।

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