jeevan chouhan/Reporter/korba
औद्योगिक नगरी है। जिसकी वजह से यहां रेत की हमेशा जरूरत पड़ती है। कहीं उद्योगों को तो कहीं निर्माण को लेकर रेत की डिमांड हमेशा बनी रहती है। हसदेव नदी सहित आसपास अन्य सहायक नदियों में खनिज विभाग द्वारा 19 रेतघाट का संचालन किया जा रहा है। अब आने वाले दिनों में वर्षा ऋतु प्रारंभ होने वाली है। वर्षा ऋतु में हर वर्ष पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए नदियों से रेत निकासी पूरी तरह से बंद कर दी जाती है। अब इस वर्ष भी 10 जून से जिले के सभी 19 रेतघाटों को लगभग 4 महीने 15 अक्टूबर तक बंद कर दिया जाएगा। इसके लिए खनिज विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है तो वहीं दूसरी ओर रेत की किल्लत न हो इसके लिए रेत का कारोबार करने वाले लोग बड़े पैमाने पर रेत संग्रहण कर रहे हैं तो साथ ही बड़े-बड़े भंडारण की अनुमति लेकर भंडारण भी किया जा रहा है ताकि वर्षा ऋतु में रेत की किल्लत न हो और रेत आसानी से मुहैया हो सके लेकिन वहीं दूसरी ओर भंडारण की आड़ में जमकर खेल भी होता है। खनिज विभाग द्वारा मौजूदा स्थिति में कुल 19 रेतघाटों का संचालन किया जा रहा है जिसमें ज्यादातर हसदेव नदी से रेत उत्खनन किया जा रहा है जिसमें घमोटा, दुल्लापुर, तरदा, भिलाईखुर्द, जोगीपाली, कुदुरमाल, भैंसामुड़ा, गितारीमोहरा, बगदरा, चिचोली, कछार, कठबितला, चुईया (चुईया नाला) धंवईपुर (अहिरन नदी) , सिर्री-1, (बम्हनी नदी), कुदमुरा-1 (मांड नदी), बैरा (बम्हनी नदी), जिल्गा (मांड नदी) का संचालन किया जा रहा है।
इस संबंध में प्रमोद कुमार नायक उपसंचालक खनिज विभाग कोरबा ने बताया कि जिले में 19 रेत घाट संचालित हो रहे हैं वर्षा ऋतु की वजह से 10 जून से सभी रेत घाट 15 अक्टूबर तक के लिए बंद किया जाएगा। इसके लिए विभाग तैयारी में जुटा है।
